केंद्र सरकार का ऐतिहासिक फैसला: जीएसटी में भारी कटौती से डेयरी किसानों, उपभोक्ताओं और कृषि क्षेत्र को बड़ी राहत

वाणिज्यिक वाहनों में, ट्रक और डिलीवरी वैन जैसे मालवाहक वाहनों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। ट्रक भारत की आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ हैं और लगभग 65–70% माल यातायात का वहन करते हैं।

GST Slashed: Centre's Historic Move Brings Significant Relief to Dairy Farmers and Consumers
GST Slashed: Centre's Historic Move Brings Significant Relief to Dairy Farmers and Consumers

केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय में वस्तु एवं सेवा कर (GST) में व्यापक कमी की घोषणा की है, जिससे सहकारी संस्थाओं, किसानों और ग्रामीण उद्यमों सहित 10 करोड़ से अधिक डेयरी किसानों को सीधा लाभ होगा। ये सुधार सहकारी क्षेत्र को मजबूत बनाएंगे, उनके उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएंगे, उनके उत्पादों की माँग और उनकी आय बढ़ाएंगे। यह ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देगा, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सहकारिताओं को प्रोत्साहित करेगा और लाखों परिवारों के लिए आवश्यक वस्तुएँ किफायती रूप से उपलब्ध कराएगा। जीएसटी दर में कटौती खेती और पशुपालन में लगी सहकारिताओं को लाभ पहुँचाएगी, टिकाऊ खेती की प्रथाओं को बढ़ावा देगी और छोटे किसानों तथा किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को सीधा लाभ देगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लाये गये #NextGenGST रिफार्म का पूरे दुग्ध सहकारी क्षेत्र ने स्वागत किया है, जिसमें अमूल जैसे सबसे बड़े सहकारी ब्रांड भी शामिल हैं।

दुग्ध क्षेत्र में किसानों और उपभोक्ताओं को वस्तु सेवा कर में सीधे राहत दी गई है। दूध और पनीर, चाहे ब्रांडेड हों या बिना ब्रांड के, को जीएसटी से मुक्त किया गया है। मक्खन, घी और ऐसे ही अन्य उत्पादों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। लोहे, स्टील और एल्युमिनियम से बने दूध के कनस्तरों पर भी जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।

इन उपायों से दुग्ध उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे, दुग्ध किसानों को सीधी राहत मिलेगी और विशेषकर दूध प्रसंस्करण में लगी महिला-नेतृत्व वाली ग्रामीण उद्यमशीलता तथा स्वयं सहायता समूह (SHGs) को मजबूती मिलेगी। किफायती दुग्ध उत्पाद घर-घर में आवश्यक प्रोटीन और वसा स्रोत उपलब्ध कराएंगे और दुग्ध सहकारिताओं की आय बढ़ाएँगे।

खाद्य प्रसंस्करण और घरेलू वस्तुओं में बड़ी राहत दी गई है। चीज़, नमकीन, मक्खन और पास्ता पर जीएसटी 12% या 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। जैम, जेली, खमीर, भुजिया और फलों का गूदा/जूस आधारित पेय पदार्थ अब 5% जीएसटी पर आएंगे। चॉकलेट, कॉर्न फ्लेक्स, आइसक्रीम, पेस्ट्री, केक, बिस्किट और कॉफी पर भी जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।

कम जीएसटी से खाद्य पदार्थों पर घरेलू खर्च घटेगा, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में माँग बढ़ेगी और खाद्य प्रसंस्करण एवं दुग्ध सहकारिताओं की वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। इससे खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध प्रसंस्करण सहकारिताएँ तथा निजी डेयरियाँ मजबूत होंगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी। इसके साथ ही पैकिंग पेपर, डिब्बे और पेटियों (crates) पर जीएसटी घटाकर 5% कर दिया गया है, जिससे सहकारिताओं और खाद्य उत्पादकों के लिए लॉजिस्टिक्स और पैकेजिंग लागत कम होगी।

कृषि यंत्र क्षेत्र में, 1800 सीसी से कम क्षमता वाले ट्रैक्टरों पर जीएसटी घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे ट्रैक्टर अधिक किफायती होंगे और इसका लाभ केवल फसल उत्पादक किसानों को ही नहीं बल्कि पशुपालन और मिश्रित खेती करने वालों को भी मिलेगा, क्योंकि इनका उपयोग चारे की खेती, चारे के परिवहन और कृषि उत्पाद प्रबंधन में किया जा सकता है। ट्रैक्टर के टायर, ट्यूब, हाइड्रोलिक पंप और अन्य अनेक पुर्जों पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% किया गया है, जिससे लागत और घटेगी और सहकारिताओं को सीधा लाभ होगा।

उर्वरक क्षेत्र में, अमोनिया, सल्फ्यूरिक अम्ल और नाइट्रिक अम्ल जैसे प्रमुख कच्चे माल पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे उल्टा कर ढांचा सुधरेगा, उर्वरक कंपनियों की इनपुट लागत घटेगी, किसानों के लिए कीमतें बढ़ने से रुकेंगी और बुवाई के समय पर किफायती उर्वरक उपलब्ध होंगे। इसका सीधा लाभ सहकारिताओं को होगा।

इसी प्रकार, बारह बायो-पेस्टीसाइड और अनेक सूक्ष्म पोषक तत्वों (माइक्रोन्यूट्रिएंट्स) पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे जैव-आधारित कृषि इनपुट अधिक किफायती होंगे, किसान रासायनिक कीटनाशकों से हटकर बायो-पेस्टीसाइड की ओर बढ़ेंगे, मिट्टी की सेहत और फसलों की गुणवत्ता बेहतर होगी, और छोटे जैविक किसानों तथा एफपीओ (Farmer Produce Organisation) को सीधा लाभ मिलेगा। यह कदम सरकार के प्राकृतिक खेती मिशन के अनुरूप है और सहकारिताओं को भी लाभान्वित करेगा।

वाणिज्यिक वाहनों में, ट्रक और डिलीवरी वैन जैसे मालवाहक वाहनों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। ट्रक भारत की आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ हैं और लगभग 65–70% माल यातायात का वहन करते हैं। इससे ट्रकों की पूंजीगत लागत घटेगी, प्रति टन-किलोमीटर भाड़ा कम होगा और इसका प्रभाव कृषि उत्पादों की ढुलाई को सस्ता बनाने, लॉजिस्टिक्स लागत घटाने और निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में दिखाई देगा। साथ ही मालवाहक वाहनों के थर्ड-पार्टी बीमा पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की सुविधा भी दी गई है, जिससे इन प्रयासों को और बल मिलेगा।

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