नई दिल्ली: भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक बदलाव करते हुए घोषणा की है कि आयुर्वेद दिवस अब हर साल एक निश्चित तिथि, 23 सितंबर को मनाया जाएगा। इससे पहले यह धन्वंतरि जयंती (धनतेरस) के दिन मनाया जाता था। इस निर्णय से आयुर्वेद को एक वैश्विक कैलेंडर पहचान मिलेगी और दुनिया भर में इसकी भागीदारी बढ़ेगी।
इस वर्ष के उत्सव का विषय ‘लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद’ है। केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने इस विषय की घोषणा करते हुए कहा कि आयुर्वेद केवल एक स्वास्थ्य प्रणाली नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति और पर्यावरण के बीच सामंजस्य का विज्ञान है।

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया कि 2016 में अपनी स्थापना के बाद से, आयुर्वेद दिवस एक वैश्विक आंदोलन बन गया है। उन्होंने कहा कि 2025 का यह विषय समग्र स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी संतुलन को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

पिछले साल, 9वें आयुर्वेद दिवस (2024) के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) के दूसरे चरण का उद्घाटन किया था और लगभग ₹12,850 करोड़ की अन्य स्वास्थ्य पहलों की शुरुआत की थी। इस वर्ष भी, समारोह में जागरूकता अभियान, युवा कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय सहयोग शामिल होंगे, ताकि आयुर्वेद को समकालीन वैश्विक चुनौतियों के समाधान के रूप में स्थापित किया जा सके। 2024 में लगभग 150 देशों में आयुर्वेद दिवस की गतिविधियां आयोजित की गईं थीं, जो इसकी बढ़ती वैश्विक पहुंच को प्रमाणित करती हैं।

