राष्ट्रपति मुर्मू ने IIT-ISM धनबाद के 45वें दीक्षांत समारोह में लिया भाग, नवोन्मेष और करुणा से प्रेरित शिक्षा पर दिया बल

राष्ट्रपति ने छात्रों को सलाह दी कि वे अपने ज्ञान को केवल व्यक्तिगत उन्नति तक सीमित न रखें, बल्कि इसे जनकल्याण का माध्यम बनाएं।

President Murmu Attends 45th Convocation of IIT-ISM Dhanbad
President Murmu Attends 45th Convocation of IIT-ISM Dhanbad

धनबाद: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (1 अगस्त, 2025) झारखंड के धनबाद में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस), धनबाद के 45वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईटी (आईएसएम), धनबाद की लगभग 100 वर्षों की गौरवशाली विरासत है। इसकी स्थापना खनन और भूविज्ञान के क्षेत्र में प्रशिक्षित विशेषज्ञ तैयार करने के लिए की गई थी, लेकिन समय के साथ इसने खुद को एक अग्रणी संस्थान के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आईआईटी धनबाद ने एक ऐसा इकोसिस्टम विकसित किया है जहां शिक्षा और नवोन्मेषण का उद्देश्य लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप है।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश के समग्र विकास में आईआईटी-आईएसएम की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस संस्थान का उद्देश्य केवल उत्कृष्ट इंजीनियर और शोधकर्ता तैयार करना नहीं है, बल्कि संवेदनशील, उद्देश्यपूर्ण और सहानुभूतिशील पेशेवर भी तैयार करना है। उन्होंने कहा कि हमारे देश का भविष्य आईआईटी-आईएसएम जैसे संस्थानों की प्रतिबद्धता से आकार ले रहा है, जो अत्याधुनिक अनुसंधान और नवोन्मेषण को बढ़ावा दे रहे हैं।

चुनौतियां और समाधान

राष्ट्रपति ने कहा कि देश और विश्व जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी, डिजिटल व्यवधान और सामाजिक असमानता जैसी कई जटिल चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में, आईआईटी-आईएसएम जैसे संस्थान का मार्गदर्शन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने संस्थान से नए और स्थायी समाधान खोजने में अग्रणी भूमिका निभाने का आग्रह किया।

उन्होंने आगे कहा कि भारत की सबसे बड़ी शक्ति उसका विशाल मानव संसाधन है और तकनीकी शिक्षा तक बढ़ती पहुंच भारत को एक प्रौद्योगिकीय महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर कर रही है। राष्ट्रपति ने जोर दिया कि शिक्षा प्रणाली को अधिक व्यावहारिक, नवोन्मेषण-केंद्रित और उद्योग-अनुकूल बनाने की आवश्यकता है।

President Murmu Attends 45th Convocation of IIT-ISM Dhanbad

छात्रों को संदेश

राष्ट्रपति ने छात्रों को सलाह दी कि वे अपने ज्ञान को केवल व्यक्तिगत उन्नति तक सीमित न रखें, बल्कि इसे जनकल्याण का माध्यम बनाएं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने ज्ञान का उपयोग एक अधिक सशक्त और न्यायपूर्ण भारत के निर्माण में करें, जहां प्रगति के अवसर सभी के लिए उपलब्ध हों। उन्होंने यह भी कहा कि छात्र अपने ज्ञान का उपयोग एक हरित भारत के निर्माण में करें, जहां विकास प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर हो।

अंत में, उन्होंने कहा कि छात्रों को भविष्य में जो कुछ भी करना है, उसमें उनकी बुद्धिमत्ता के साथ-साथ सहानुभूति, उत्कृष्टता और नैतिकता भी झलकनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल नवोन्मेषण ही नहीं, बल्कि करुणा से प्रेरित नवोन्मेषण ही विश्व को बेहतर बनाता है।

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