नई दिल्ली: डॉ. शशि थरूर की अध्यक्षता में संसद की विदेश मामलों पर स्थायी समिति ने हाल ही में भारत-बांग्लादेश संबंधों की गहन समीक्षा की। इस बैठक में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) शिवशंकर मेनन, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन, पूर्व उच्चायुक्त रीवा गांगुली दास और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर अमिताभ मट्टू जैसे प्रमुख विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
बैठक में युवाओं के कट्टरपंथीकरण का मुद्दा प्रमुखता से उठा, खासकर ऐसे समय में जब पाकिस्तान और चीन बांग्लादेश के करीब आ रहे हैं, जबकि भारत के संबंध इन तीनों देशों के साथ जटिल बने हुए हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि बांग्लादेश को लेकर तत्काल किसी बड़े खतरे की बात नहीं है, क्योंकि बांग्लादेशी सेना अभी भी कट्टरपंथ से अछूती है, जबकि पाकिस्तानी सेना में यह गहराई तक मौजूद है।
इस दौरान, बीजेपी सांसद किरण चौधरी ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अपने पिता ब्रिगेडियर आत्मा सिंह सेजवाल के योगदान को याद किया। शेख हसीना की भारत में मौजूदगी को लेकर उठे सवालों पर विशेषज्ञों ने भारत की मानवीय परंपरा का हवाला दिया, जैसे कि दलाई लामा को शरण देना।
पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा जैसे राज्यों की सांस्कृतिक-भाषायी समानताओं और सीमावर्ती स्थिति को देखते हुए, विपक्षी सांसदों ने जनसंपर्क कार्यक्रम बढ़ाने का सुझाव दिया, खासकर मीडिया और पत्रकार आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अवैध प्रवास के मुद्दे पर विशेषज्ञों ने समिति को बताया कि इसमें गिरावट आई है।
